Menu
blogid : 15395 postid : 583031

देश आजाद है

meri awaaz - meri kavita
meri awaaz - meri kavita
  • 25 Posts
  • 98 Comments

देश आजाद है ।।


देश आजाद है,
हम आज़द है ।
अपनी भावनाओं की
अभिव्‍यक्ति कर
देश दुनिया को
दिखा सकते हैं ।
अपनी सम्‍प्रभुत्ता
जता सकते हैं ।।


पर एक बात कौंधती है-
बार – बार
जब भी देश में
कोई बड़ा हादसा होता है।
या कोई असहाय,
शोषण से रोता है,
तो उसकी आवाज़ दबाने का-
पुरजोर प्रयास होता है ।।


आत्‍मा कराहती है
मानों कह रही हो-
सिर्फ देश आज़ाद है।
हम गुलाम से हैं-
कुछ अपनी मानसिकता से
कुछ अपनी आलसता से
जीते जी मुर्दों सी रहने की-
आदत की विवसता से ।।


या हम गुलाम हैं,
कुछ अपने ही लोंगो से।
जनतंत्र के कुछ
दिखावटी ढ़ोंगो से ।
जनता क्षुधित-शोषित है,
अपनी ही बेहोशी से ।
जन-जन परेशान है,
जन-जन की खामोशी से ।।

हम आज़ाद हैं
गॉंधी के बंदरों सा-
हर सितम सहने और
कुछ न बोलने के लिए ।
या भरे चौराहे पर ‘चिर-हरण’ हो
किसी द्रौपदी का पर
ऑंखों और कानों को
मुंद कर रखने के लिए ।।


नहीं नहीं हरगीज नहीं,
जन-जन की आवाज़ को
कोई दबा नहीं सका है
जब-जब भी जुल्‍मों सितम,
हर शहर हर गॉंव में
हुआ है ।

एक चिंगारी सुलगी है,
आग लगी है…।।

देर या सबेर
तस्विर बदली है ।
लोग जगे हैं –
अपना हक लिए है।
क्‍योंकि-
जुल्‍म जीत नहीं सकता,
सच्‍चाई हार नहीं सकती,
इतिहास गवाह है ।।

अत: निराश नहीं होना है
अब और नहीं खोना है ।
अपनी आशा को जिलाए
रखना है सत्‍य के साथ,
एक नई सुबह के लिए,
एक नये कल के लिए ।
क्‍योकि हम आज़ाद हैं,
देश आज़ाद है ।।
—————————————

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh