मनुष्य meri awaaz - meri kavita कहीं दब न जाए मेरी आवाज ... खामोशी के बीच मनुष्य
मैं मनुष्य हूँ,
सृष्टि का श्रेष्ठ ।
चेतनशील जगत का
सबसे उत्कृष्ट ।।
ईश्वर का पूत,
प्रकृति का रक्षक ।
अखिल विश्व में,
मानवता का पोषक ।।
सर्वशक्ति सम्पन्न,
प्रभुत्व में सारा संसार ।
विकास अति अपार,
कल्पनाएं होतीं साकार ।।
प्रकृति को अनुरूप,
करने का अदम्य उत्साही ।
विलासितापूर्ण जीवन,
बसर होता रहता है शाही ।।
फिर भी जड़ हूँ,
निष्प्राण, बेजान ।
बेबस, लाचार,
संवेदन शून्य अचेतन समान ।।
‘स्व’ अस्तित्व रक्षा हेतु,
अपनों से जूझता हूँ ।
इंसान नहीं मैं,
पाषाण पूजता हूँ ।।
उदयराज़
(राईॅल के १६ वें अंक, वर्ष – २०१२-१३ में प्रकाशित)
मैं मनुष्य हूँ,
सृष्टि का श्रेष्ठ ।
चेतनशील जगत का
सबसे उत्कृष्ट ।।
ईश्वर का पूत,
प्रकृति का रक्षक ।
अखिल विश्व में,
मानवता का पोषक ।।
सर्वशक्ति सम्पन्न,
प्रभुत्व में सारा संसार ।
विकास अति अपार,
कल्पनाएं होतीं साकार ।।
प्रकृति को अनुरूप,
करने का अदम्य उत्साही ।
विलासितापूर्ण जीवन,
बसर होता रहता है शाही ।।
फिर भी जड़ हूँ,
निष्प्राण, बेजान ।
बेबस, लाचार,
संवेदन शून्य अचेतन समान ।।
‘स्व’ अस्तित्व रक्षा हेतु,
अपनों से जूझता हूँ ।
इंसान नहीं मैं,
पाषाण पूजता हूँ ।।
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उदयराज़
(राईफल के १६ वें अंक, वर्ष – २०१२-१३ में प्रकाशित)
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