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देश की पूकार
१
भारत माताँ मुक्त हुइ तोड़ गुलामी की जंजीर ।
पुण्यवेदी पर कितने ही चढ़ाए अपने सीर ।
मिटाने में कितने मिट गए हमारी जमीर ।
अपने हाथों से बनाए हैं अपना तकदीर ।।
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२
ज्ञान-ज्याति से हर ले अंधकार ।
पाट विषमताओं को भरे प्यार ।
बने भगत, विस्मिल्ल, चंद्रशेखर
देश-द्रोहिओं का करें संहार ।।
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३
शोषणों को खत्म करे, रोके अत्याचार ।
हक के जंग में जीते जी माने न हार ।
समाज से मिटाए पशुवत व्यवहार,
सबको दिलाए समान अधिकार ।।
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४
सत्य-अहिंसा का हो प्रचार – प्रसार ।
देश से मिटाए काले धंधों का बाजार ।
शहीदों के सपने को करें साकार ।
स्नेह की हर जगह पड़े फुहार ।।
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५
यतीन, लाहड़ी, खुदी, चापेकर ।
जैसे दिल में स्वदेश – प्रेम ले भर ।
देश पर कर तन-मन-धन निछावर ।
मर कर भी हो जाए अमर ।।
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६
खुशियों से भर जाए संसार ।
न जीना हो किसी का दुसवार ।
संकल्प ले मर मिटें हो देश की पूकार ।
वीर शहिदों को नव भारत का नमस्कार ।।
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